आदरणीय प्रधानाचार्य, मेरे प्यारे शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों,
आज हम सब यहाँ एक विशेष अवसर पर एकत्रित हुए हैं। यह दिन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जब हम अपनी प्यारी पाठशाला को अलविदा कह रहे हैं। यह दिन खुशी और उदासी दोनों का मिला-जुला एहसास लेकर आया है। खुशी इस बात की कि हमने यहाँ ज्ञान और अनुभव का खजाना पाया, और उदासी इस बात की कि हम अपने शिक्षकों और दोस्तों से दूर हो रहे हैं।
दोस्तों, यह विद्यालय सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि हमारा दूसरा घर था। यहाँ हमने न सिर्फ किताबें पढ़ीं, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पाठ भी सीखे। यहाँ हमने दोस्ती, सहयोग और अनुशासन का महत्व समझा। हमारे शिक्षकों ने हमें न सिर्फ ज्ञान दिया, बल्कि हमें अच्छे इंसान बनने की प्रेरणा भी दी।
आज जब हम यहाँ से जा रहे हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि ज्ञान का प्रकाश कभी बुझता नहीं है। यह हमेशा हमारे साथ रहेगा। हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।
जैसे कि स्वामी विवेकानंद ने कहा है, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”
दोस्तों, जीवन में सफलता पाने के लिए हमें अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। हमें हमेशा सकारात्मक रहना होगा और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा है, “सपने वो नहीं जो आप सोते समय देखते हैं, सपने वो हैं जो आपको सोने नहीं देते।”
हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। हमें अपने देश के लिए कुछ अच्छा करना होगा। हमें अपने परिवार और अपने शिक्षकों का नाम रोशन करना होगा।
आज जब हम यहाँ से जा रहे हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि हम हमेशा इस विद्यालय के छात्र रहेंगे। हमें हमेशा अपने शिक्षकों और अपने दोस्तों के संपर्क में रहना चाहिए।
अंत में, मैं यही कहना चाहूँगा, “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।”
अर्थात, कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, फलों पर नहीं। इसलिए, हमें अपना काम ईमानदारी और निष्ठा से करना चाहिए।
आप सभी को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ। धन्यवाद!