संविधान दिवस भाषण
सुप्रभात!
आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, शिक्षकगण, और मेरे प्रिय साथियों,
आज हम यहां संविधान दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं, जिसे हम हर वर्ष 26 नवंबर को मनाते हैं। यह वही दिन है जब 1949 में हमारा संविधान तैयार हुआ और भारत के संविधान सभा ने इसे अपनाया। यह अवसर हमें हमारे संविधान की महत्ता, इसके मूल्यों और हमारे अधिकारों एवं कर्तव्यों की याद दिलाता है।
जैसा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने कहा था:
“संविधान केवल वकीलों का दस्तावेज नहीं है, यह जीवन का एक माध्यम है।”
उनकी यह बात हमें यह सिखाती है कि संविधान केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि हर भारतीय के जीवन को दिशा देने वाला एक दस्तावेज है।
हमारे संविधान की खासियत यह है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता जैसे मूल्य समाहित हैं। यह हर नागरिक को समान अधिकार देता है और साथ ही, हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।
जैसा कि महात्मा गांधी जी ने कहा था:
“अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।”
इसलिए हमें अपने अधिकारों का उपयोग करते समय अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए।
आज का दिन हमें अपने संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है। उन्होंने हमारे देश के लिए ऐसा संविधान तैयार किया जो हमारी विविधता में एकता बनाए रखता है।
अंत में, मैं आप सभी से यह आग्रह करना चाहूंगा कि हम संविधान में दिए गए आदर्शों का पालन करें और एक जिम्मेदार नागरिक बनकर देश के विकास में योगदान दें।
धन्यवाद!
जय हिंद!