नमस्कार,
आज का यह शुभ अवसर, यह संगम, यह गेट-टुगेदर हम सभी के लिए एक विशेष दिन है। जब अपने प्रियजनों और मित्रों के साथ समय बिताने का अवसर मिलता है, तो वह समय अपने आप में एक त्योहार बन जाता है।
एक छोटी कविता के साथ शुरू करना चाहूँगा:
“मिलना-जुलना है जीवन का सार,
संग-साथ से मिटे हर अंधकार।
हंसी-खुशी से सजता है ये जहान,
प्यार और अपनापन यही है पहचान।”
यह गेट-टुगेदर न केवल हमारे रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि मिलकर समय बिताने का आनंद जीवन को और सुंदर बना देता है। जब हम अपनी व्यस्तताओं से थोड़ा समय निकालकर अपनों के साथ बैठते हैं, तो हर पल अनमोल बन जाता है।
“दो पल सुकून के मिलें, वो रिश्ता खास है,
हर चेहरे पर मुस्कान हो, यही आस है।
दोस्ती की बातें हों, अपनों का साथ हो,
गेट-टुगेदर का ये मौका, सदा यादगार हो।”
इस आयोजन के लिए आयोजकों का धन्यवाद देना चाहूँगा, जिन्होंने हमें एक साथ आने का यह अवसर प्रदान किया। ऐसे आयोजन हमें जीवन के छोटे-छोटे पलों में खुशियाँ ढूँढने की प्रेरणा देते हैं।
अंत में, बस इतना कहना चाहूँगा कि जीवन का असली सुख अपनों के साथ बिताए गए इन पलों में ही छुपा है। चलिए, हम सभी इस शाम को और खास बनाते हैं।
“हंसी-ठिठोली हो, प्यार का इज़हार हो,
इस संगम में बस खुशियों का त्यौहार हो।
जुड़ें दिल से दिल, हो नया विश्वास,
गेट-टुगेदर की ये शाम रहे खास।”
धन्यवाद!